जगदलपुर (डेस्क) – इंद्रावती नदी जल संकट का झूठा ढोंग कर कांग्रेस ढोंगी पदयात्रा का आयोजन कर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. उक्त बातें बस्तर सांसद महेश कश्यप ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा हैं.

सांसद ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 5 साल सत्ता में बैठे पीसीसी चीफ दीपक बैज को बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी की तनिक भी चिंता नही हुई है. अगर इंद्रावती नदी के बारे में अपने कार्यकाल में सोच लेते तो आज यह स्थिति उतपन्न नही होती. श्री कश्यप ने कहा कि इंद्रावती नदी सहित जनता की हर समस्याओं को दूर करने में डबल इंजन की सरकार प्रतिबद्ध है.
इंद्रावती नदी को वापस स्वरूप में लाने भाजपा सरकार के हर एक जनप्रतिनिधि ततपरता से कार्य कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और मंत्री केदार कश्यप के द्वारा लगातार इस ओर कार्ययोजना तैयार की गई है. कांग्रेस सिर्फ राज करने की नीति पर ही कार्य करती है. इंद्रावती नदी को वापस स्वरूप में लाने की ओर हम लगातार कार्य कर रहे है. जो कांग्रेस को नही पच रही हैं. झूठा भ्रम फैलाकर ढोंग पदयात्रा के माध्यम से कांग्रेस श्रेय लेने का कार्य कर रही हैं. जनता को सभी चीजें पता है कौन इस ओर कार्य कर रहा है. और कौन सिर्फ राजनीति स्टंट कर रहा है.

इन्द्रावती नदी पर नए बैराज, 35 हजार हेक्टेयर में सिंचाई,50 टीएमसी जल भण्डारण क्षमता होगी तैयार, बस्तर जिले के निराबोया क्षेत्रफल 2 लाख हेक्टेयर है. वर्ष 2018 तक जल संसाधन विभाग ने जिले में 1 मध्यम, 31 जलाशय, व्यपवर्तन, 7 उद्वहन और 29 एनीकट सहित कुल 75 योजनाएं बनाई थीं इनसे 32 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा जिले में निर्मित हुई. वर्ष 2019 – 20 में 25, 2020 – 21 में 26, 2021 – 22 में 23 और 2022 – 23 में 67
योजनाएं बजट में शामिल की गई. पांच वर्षों में कुल 141 योजनाओं को बजट में शामिल किया गया इनमें से केवल रू. 150 करोड़ की लागत से 25 योजनाओं की मंजूरी मिली. इनमें से सिर्फ 5 योजनाओं का निर्माण पूरा हुआ. इससे सिंचाई क्षमता में केवल 285 हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई. वर्तमान सरकार द्वारा वर्ष 2024 में बाकी 15 योजनाओं की निविदा जारी कर निर्माण कार्य शुरू कराया गया.
वर्तमान सरकार द्वारा बस्तर में सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण एवं सिंचाई सुविधा के विस्तार हेतु वर्ष 2024 – 25 में 80 योजनाओं को बजट में शामिल कर एक साथ लागत 200 करोड़ रुपये से 52 योजनाओं की मंजूरी दी गई. इनसे 12 हजार हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा मिलेगी. वर्ष 2025 – 26 में 65 योजनाओं को बजट में शामिल किया गया है इनका सर्वेक्षण कार्य जारी है. वर्ष 2019 से 2023 के बीच तत्कालीन सरकार ने इन्द्रावती नदी पर केवल एक योजना को मंजूरी दी थी. यह करेकोट एनीकट योजना थी, जिसकी लागत 18 करोड़ रुपए थी. इसका कार्यादेश वर्ष 2024 में वर्तमान सरकार द्वारा जारी किया गया है. तत्कालीन सरकार द्वारा 26 अगस्त 2021 को इन्द्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन हुआ लेकिन इसकी एक भी बैठक नहीं हुई न ही किसी योजना की अनुशंसा की गई. जबकि वर्तमान सरकार द्वारा वर्ष 2024 – 25 में मटनार, देउरगांव और महादेवघाट बैराज सह उद्वहन सिंचाई योजना को शामिल किया गया है. वर्ष 2025-26 में नगरनार, एरपुंड, ककनार, बाकेल, नारंगी और भास्केल बैराज को जोड़ा गया है. इन योजनाओं से 50 टीएमसी जल का भंडारण होगा. साथ ही 35 हजार हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा मिलेगी.
बस्तर संभाग को कुल 372 टीएमसी जल आबंटित है. इसके मुकाबले केवल 5 प्रतिशत जल भंडारण क्षमता बनी है. 200 टीएमसी जल के उपयोग के लिए इन्द्रावती – महानदी नदी जोड़ो परियोजना का सर्वेक्षण कार्य स्वीकृत किया गया है. इससे 4 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा बनेगी. दिनांक 15 अप्रैल 2025 को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बस्तर संभाग में सिंचाई परियोजनाओं को गति देने के लिए नवीन मुख्य अभियंता कार्यालय का शुभारंभ किया गया है.

*इंद्रावती – जोरानाला समस्या*

इंद्रावती जोरानाला संकट के समाधान हेतु कंटोल स्ट्रक्चर के निर्माण हेतु वर्ष 2010 से 2016 तक कुल 49 करोड़ रुपये के जल संसाधन विभाग उड़ीसा को प्रदान कर निर्माण कार्य पूर्ण कराया गया, जिससे प्रदेश को समझौता के अनुसार 50 प्रतिशत जल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई. किंतु वर्ष 2021 से 2023 तक छत्तीसगढ़ राज्य को कंट्रोल स्ट्रक्चर के अप स्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम में सिल्ट, बोल्डर के जमा होने से मात्र 23 प्रतिशत जल उपलब्ध हो रहा था. जिससे बस्तर जिले में गम्भीर पेयजल संकट उतपन्न हो गया, जिसके समाधान हेतु जिले के कृषकों एवं रहवासियों द्वारा मांग एवं आंदोलन किया गया. किंतु वर्ष 2023 तक इस समस्या की तरह छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कोई ध्यान नही दिया गया, जिसके फलस्वरूप वर्ष 2024 में बस्तर जिले को मात्र 16 प्रतिशत जल उपलब्ध हो रहा था. जिससे बस्तर जिले में भीषण जल संकट उतपन्न हो गया. जिसके निराकरण हेतु छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के द्वारा ओड़िसा राज्य के मुख्यमंत्री से आवश्यक चर्चा कर समस्या के समाधान हेतु तत्काल कार्यवाही किये जाने के आग्रह पर इंद्रावती – जोरानाला मुहाने पर निर्मित हाइड्रोलिक कंट्रोल स्ट्रक्चर के अप स्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम में जमा रेत ( सिल्ट ) ,लूज बोल्डर,रेत बोरी एवं अन्य अवरोधों के बीच अस्थायी रुप से रास्ता बनाकर तात्कालिक समाधान से छत्तीसगढ़ राज्य को 16% से बढ़कर 49 % जल प्रवाह सुनिश्चित हुआ. समझौते के अनुसार जल बंटवारा को सुनिश्चित करने हेतु इंद्रावती – जोरानाला संगम पर निर्मित हाइड्रोलिक कंट्रोल स्ट्रक्चर के अप स्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम में जमा रेत ( सिल्ट ), लूज बोल्डर, रेत बोरी एवं अन्य अवरोधों को स्थायी रूप से नदी के बाहर हटाने हेतु राशि 4 करोड़ रुपये लागत से जून 2025 तक कार्य पूर्ण करने की सहमति उड़ीसा राज्य के द्वारा सहमति दी गयी है.

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