पत्रकार स्व. मुकेश चंद्राकर के नाम पर 50 हजार रुपये की फेलोशिप देने की घोषणा
जगदलपुर (निरंजन कुमार) – देश दुनिया में पत्रकारिता के क्षेत्र में पहचान बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ आज मंगलवार को बस्तर दौरे पर थे. जगदलपुर में बस्तर जिला पत्रकार संघ की ओर से ‘‘वर्तमान दौर में पत्रकारिता एवं चुनौती’’ विषय व्याख्यान का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज सभागार में आयोजित गया. कार्यशाला शुरु करने से पहले स्व. मुकेश चंद्राकर, नेमीचंद जैन, साईं रेड्डी सहित अन्य बस्तर में हत्या किए गए सभी पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
व्याख्यान में पत्रकार पी. साईनाथ ने कहा कि आज पत्रकारिता और मीडिया में अंतर हो गया है. पिछले तीन दशक में पूरी पत्रकारिता बदल चुकी है. एक ओर पत्रकारिता समाज और लाइवलीहुड के लिए की जा रही है. वहीं मीडिया मिशन से मशीन में तब्दील होकर बाजार और मालिक के नियंत्रण में आ गई है. मीडिया के मूल्यों में तेजी से गिरावट आ रही है. पर वह हर जगह वही डोमिनेंट कर रहा है. मीडिया में जो चल रहा है वह पत्रकारिता नहीं है. कई मीडिया पुरस्कारों से सम्मानित पत्रकार पी. साईंनाथ ने बताया कि मीडिया संस्थानों में आज मर्जर के नाम पर पत्रकारों व इस इंडस्ट्री से जुड़े अन्य की नौकरियां छीनी जा रही है. कोरोनाकाल में मीडिया को इसेंशियल सर्विस कटेगरी में रखा गया है. जिसमें नियमों के तहत नौकरी से नहीं निकाले जाने का प्रावधान है. लेकिन पिछले दो वर्ष में 3500 पत्रकार और पत्रकारिता व्यवसाय से जुड़े करीब 15 हजार कर्मियों की छंटनी हो चुकी है. जब नौकरी ही नहीं रहेगी तो प्रेस फ्रीडम का क्या औचित्य रहेगा.
पी. साईंनाथ ने कहा कि आज मीडिया में सर्वाइव करने की चुनौती है. युवा पत्रकारिता को छोड़ जनसंपर्क कार्य में जा रहे हैं. रिपोर्टर, स्ट्रिंगर के बजाय मीडिया में हॉबी करोसपोंडेंट के रूप में युवाओं को नौकरी पर रखा जा रहा है. जिसके लिए सेवा शर्तों की कोई प्रावधान नहीं रखा गया है. आज डिजिटल मीडिया में भी बहुत मोनोपॉली है. सोशल मीडिया खुद एंटी सोशल हो गया है. यह आपके कम्युनिकेशन के लिए नहीं बल्कि प्रॉफिट के लिए चलाए जा रहे हैं. सोशल मीडिया में सबसे अधिक भारत में प्रतिबंध लगाया जा रहा है.
पी. साईंनाथ ने कहा कि मीडिया मालिक और सत्ता में गठजोड़ बना लिया गया है. मीडिया की आत्मा बिक सी गई है. पत्रकारिता की ताकत धन पर निर्भर हो गई है. विज्ञापन को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. मीडिया माउथ पीस बन कर रह गई है. उन्होंने कहा कि युरोपीय देश की तरह भारत में भी मीडिया मोनोपॉली पर रोक लगाना होगा. पब्लिक ब्रोडकॉस्ट को इंडिपेंडेट बनाने के प्रयास करने होंगे. आज नई पीढ़ी के युवा पत्रकार पेड कंटेंट तैयार करने को ही पत्रकारिता मान बैठे हैं. वे आइडिया और नैतिकता को लेकर पत्रकारिता में आते हैं. पर समय और परिस्थितियों के साथ नैतिकता और आदर्शों से विमुख हो जाते हैं.
पी. साईंनाथ ने कहा कि बस्तर में बहुत स्टोरी है. जिसे करके क्षेत्र की समस्याओं को उजागर किया जा सकता है. उन्होंने यहां के स्थानीय जर्नलिस्ट के लिए बीजापुर में हत्या किए गए राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार स्व. मुकेश चंद्राकर के नाम पर 50 हजार का फेलोशिप देने की भी बात कही.
इससे पहले बस्तर जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनीष गुप्ता व स्थानीय वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि लोकतंत्र वहीं मजबूत होता है जहां की पत्रकारिता मजबूत होती है. बस्तर में जैसे-जैसे नक्सलवाद का प्रभाव कम हो रहा है वैसे-वैसे भ्रष्टाचार जैसी कई चुनौतियां सामने आ रही हैं. साथ ही कहा कि दुनिया में सबसे अच्छी आदिवासी संस्कृति भारत में है. दुनिया छत्तीसगढ़ से पहले बस्तर को जान गई थी. वक्ताओं ने कहा कि पत्रकार बनना ही एक बड़ी चुनौती है. आज के पत्रकार पूर्णकालिक, अंशकालिक और अल्पकालिक के रूप काम कर रहे हैं. पत्रकारों को सभी यूज कर रहे हैं. पत्रकारों को राजनीति के लेफ्ट-राइट का ध्यान रखना पड़ रहा है.