सुकमा (डेस्क) – छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती और कभी माओवाद की त्रासदी झेल चुके सुकमा जिले के टोण्डामार्का और उसके आस-पास के गांवों में अब परिवर्तन की नई बयार बह रही है. नक्सल हिंसा की छाया से उबरते हुए इन गांवों में अब विकास की दस्तक सुनाई दे रही है. इस बदलाव की एक महत्वपूर्ण कड़ी बना है केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) द्वारा आयोजित सिविक एक्शन प्रोग्राम (CAP), जिसका आयोजन आज सोमवार को ग्राम टोण्डामार्का में किया गया.

इस आयोजन की अगुवाई 131 वीं बटालियन CRPF के कमांडेंट दीपक कुमार साहू के दिशा-निर्देशन में की गई. कार्यक्रम में सहायक कमांडेंट शेजोल राहुल सुरेश और निरीक्षक (G.D.) पाटिल किरण प्रल्हाद की सक्रिय सहभागिता ने जनसहभागिता को न केवल सशक्त किया, बल्कि एक संवादपरक वातावरण भी रचा.

माओवाद से विकास तक का सफर : टोण्डामार्का की नई पहचान

एक समय था जब टोण्डामार्का, मुरियापारा, गुणाजपारा, दुर्मापारा और एल्मागुंडा जैसे गांव नक्सल गतिविधियों के लिए जाने जाते थे. भय, संकोच और अलगाव यहां की पहचान थे। परंतु समय बदला है. CRPF की मौजूदगी और उनके सतत प्रयासों से इन गांवों की तस्वीर पूरी तरह से बदल रही है. सुरक्षा बल अब केवल बंदूक लेकर गांवों में गश्त नहीं करते, बल्कि सेवा, संवाद और सहयोग की भावना के साथ लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कार्य कर रहे हैं.

सिविक एक्शन प्रोग्राम : सुरक्षा नही, सेवा का भी संदेश

सिविक एक्शन कार्यक्रम में गांव के सैकड़ों ग्रामीणों की भागीदारी देखने को मिली. टोण्डामार्का, मुरियापारा, गुणाजपारा, दुर्मापारा और एल्मागुंडा से बड़ी संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. ग्रामीणों के बीच संवाद स्थापित करते हुए अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि CRPF केवल सुरक्षा देने वाली संस्था नहीं, बल्कि समाज का अभिन्न हिस्सा है.

कार्यक्रम की शुरुआत भावनात्मक संवाद से हुई, जहां अधिकारियों ने ग्रामीणों से सीधे संवाद स्थापित करते हुए कहा कि “गांव हमारा घर है, और आप सभी हमारे परिवार का हिस्सा हैं. हम यहां केवल आपकी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि आपके सुख-दुख में साझेदार बनने आए हैं.”

“सूचना की नई सुबह : रेडियो वितरण से बढ़ी जागरूकता

इस बार का सिविक एक्शन प्रोग्राम एक नई पहल के लिए यादगार बन गया. CRPF ने ग्रामीणों को रेडियो सेट वितरित किए. इन रेडियो सेटों के माध्यम से अब ग्रामीण विश्व के साथ जुड़ सकेंगे. उन्हें न केवल मनोरंजन मिलेगा, बल्कि सरकारी योजनाओं की जानकारी, मौसम की भविष्यवाणी और स्वास्थ्य संबंधी संदेश भी सुनाई देंगे.

एक ग्रामीण महिला ने बताया कि “हमने पहली बार अपने हाथ में ऐसा यंत्र पकड़ा है जिससे बिना कहीं जाए हम सरकारी योजनाओं के बारे में जान सकेंगे. यह सूचना की नई सुबह है हमारे लिए.”

निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर : सेवा की सच्ची मिसाल

टोण्डामार्का जैसे दूरस्थ क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा से एक चुनौती रही हैं. ऐसे में सिविक एक्शन प्रोग्राम के अंतर्गत आयोजित नि:शुल्क चिकित्सा शिविर ने ग्रामीणों के लिए राहत की सांस दी. CRPF की मेडिकल टीम ने सैकड़ों ग्रामीणों की जांच की और आवश्यक दवाएं वितरित कीं. मुख्यतः मलेरिया, त्वचा रोग, कुपोषण और मौसमी बुखार जैसी बीमारियों की जांच की गई. साथ ही, स्वच्छता, पोषण और व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया.

सामुदायिक एकता की मिसाल : भोजन और संवाद

कार्यक्रम के अंत में बी और एफ कंपनी की ओर से सभी ग्रामीणों के लिए जलपान की व्यवस्था की गई. इस सामूहिक भोजन ने सुरक्षा बल और ग्रामीणों के बीच की दूरी को पाटने का कार्य किया. हंसी, बातचीत और आत्मीयता के इस वातावरण ने यह स्पष्ट कर दिया कि परिवर्तन अब स्थायी है.

सरकारी योजनाओं की जानकारी : आत्मनिर्भरता की ओर कदम

कार्यक्रम में उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत, जनधन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी गई. ग्रामीणों को इन योजनाओं के लाभ लेने के लिए प्रेरित किया गया, साथ ही उनकी समस्याएं भी सुनी गईं और समाधान के लिए त्वरित निर्देश दिए गए.

CRPF का उद्देश्य : “दिलों को जीतना”

CRPF के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि “हम हथियारों से नहीं, भरोसे और सेवा से लोगों के दिल जीतना चाहते हैं. हमारा लक्ष्य है कि हर ग्रामीण को यह महसूस हो कि हम उनके अपने हैं.” टोण्डामार्का में तैनात बी एवं एफ/131 वीं वाहिनी ने यह भी आश्वासन दिया कि वे हमेशा ग्रामीणों की सहायता के लिए तत्पर रहेंगे, चाहे वह स्वास्थ्य सेवा हो, शिक्षा का मुद्दा हो या किसी योजना का लाभ न मिल पाने की शिकायत.

नक्सलवाद की समाप्ति का नया अध्याय

टोण्डामार्का जैसे गांव अब धीरे-धीरे अपनी पुरानी पहचान से बाहर निकल रहे हैं. अब वे आतंक के लिए नहीं, बल्कि विकास और सहयोग के लिए पहचाने जा रहे हैं. स्कूल, सड़क, स्वास्थ्य केंद्र, बिजली और डिजिटल सुविधा जैसे विकास कार्य अब यहां की वास्तविकता बनते जा रहे हैं. इसमें CRPF के प्रयासों की भूमिका निर्विवाद है.

ग्राम पंचायत सदस्य सुक्खा राम ने कहा कि “पहले हमारे गांव में कोई आता नहीं था, अब CRPF के साथी हमारे बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं. रेडियो मिलना हमारे लिए बहुत बड़ा तोहफा है.” मुरियापारा की महिला सरपंच ने कहा कि “हमने कभी सोचा नहीं था कि सुरक्षा बल हमारे बच्चों को पोषण और शिक्षा के बारे में बताएंगे. यह बदलाव बहुत खास है.”

दिलों में भरोसा, हाथों में विकास

CRPF की 131 वीं वाहिनी द्वारा आयोजित यह सिविक एक्शन प्रोग्राम एक मिशाल है, जो बताता है कि सुदूरवर्ती और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी बदलाव केवल सैन्य कार्रवाई से नहीं, बल्कि सेवा, सहयोग और संवाद से आता है. टोण्डामार्का आज केवल एक गांव नहीं, बल्कि माओवाद से मुक्ति और विकास की प्रेरणादायक कहानी बन चुका है। यह कार्यक्रम CRPF की उस सोच का हिस्सा है जो कहती है कि “जहां सुरक्षा है, वहां सेवा भी है; जहां बंदूक है, वहां भरोसा भी है; और जहां हम हैं, वहां विकास ज़रूर होगा.”

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