सुकमा (डेस्क) – कभी नक्सल प्रभाव का गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य के सुकमा जिले के मेटागुडम और आस-पास के गांवों में अब बदलाव की बयार बह रही है. आज यहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 131वीं बटालियन द्वारा आयोजित सिविक एक्शन प्रोग्राम (CAP) ने एक बार फिर यह साबित किया कि विश्वास, सेवा और समर्पण से बदलाव संभव है.

यह आयोजन 131वीं बटालियन के कमांडेंट दीपक कुमार साहू के दिशा-निर्देशन और द्वितीय कमान अधिकारी मौलि मोहन कुमार की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम का संचालन CRPF कैम्प एफओबी (फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस) मेटागुडम के परिसर में किया गया, जिसमें मेटागुडम, इरापल्ली, रसपल्ली और बोटेटांग जैसे आस-पास के गांवों से सैकड़ों ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

सहयोग और समर्पण की मिसाल बनी सीआरपीएफ 131 वीं बटालियन

इस सिविक एक्शन प्रोग्राम की विशेष बात रही ग्रामीणों को रेडियो सेटों का वितरण, जिससे उन्हें न केवल सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के साधन उपलब्ध होंगे, बल्कि सरकारी योजनाओं और आपदा संबंधी सूचनाओं की तत्काल जानकारी भी मिल सकेगी.

रेडियो वितरण कार्यक्रम में 131 वीं बटालियन के सहायक कमांडेंट अमित कुमार श्रीवास्तव (OC-D/131), आनंद त्रिपाठी (OC-A/131) और उनकी टीम A&D/131 की सक्रिय भागीदारी रही. ग्रामीणों ने इन रेडियो सेटों को पाकर हर्ष व्यक्त किया और कहा कि यह उनके जीवन में “सूचना की एक नई सुबह” लेकर आया है.

रेडियो, जो पहले ग्रामीण जीवन से लगभग गायब हो चला था, अब दुर्गम क्षेत्रों में सूचना का एक मजबूत माध्यम बनकर उभर रहा है. यह पहल CRPF द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में “मन से मन की बात” के माध्यम से संवाद कायम करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.

निशुल्क स्वास्थ्य शिविर : चिकित्सा सेवा की नई पहचान

इस अवसर पर एक दिवसीय निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन भी किया गया, जिसका संचालन 131 वीं बटालियन के चिकित्सा अधिकारी डॉ. दर्शप्रीत सिंह द्वारा किया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को ध्यान में रखते हुए, इस शिविर में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी की सामान्य जांच की गई.

गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग पुरुषों, बच्चों और युवाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य परामर्श की व्यवस्था की गई. अनेक ग्रामीणों को लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य समस्याओं का मौके पर ही इलाज मिला, साथ ही जरूरतमंदों को आवश्यक दवाइयाँ निःशुल्क दी गईं.

स्वास्थ्य शिविर में विशेषकर मलेरिया, बुखार, त्वचा रोग, पोषण की कमी और मौसमी रोगों से जुड़े मरीजों की संख्या अधिक रही. टीम ने न केवल इलाज किया, बल्कि उन्हें रोगों से बचाव के उपाय भी बताए.

“गांव हमारा घर, ग्रामीण हमारा परिवार” – इस मूलमंत्र के साथ नई शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत उद्बोधन से हुई, जिसमें CRPF के अधिकारियों ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि “गांव हमारा घर है और ग्रामीण हमारे परिवार हैं.” यह विचार अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि व्यवहार में उतारी जा रही नीति बन गई है.

CRPF अधिकारियों ने ग्रामीणों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि वे यहां केवल सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि विकास और विश्वास का सेतु बनने के लिए आए हैं. गांवों में अब सुरक्षाबलों की उपस्थिति डर का नहीं, सुरक्षा और सहयोग का प्रतीक बन रही है.

कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों के लिए स्वादिष्ट जलपान की भी व्यवस्था की गई थी, जिससे सामुदायिक भावना को और बल मिला.

अतीत का डर, भविष्य की उम्मीद 

ज्ञात हो कि मेटागुडम, रसपल्ली, इरापल्ली और बोटेटांग जैसे गांव कभी माओवादियों के गढ़ माने जाते थे. सुरक्षाबलों के कैंप की स्थापना से पहले यहां नक्सलियों का जबरदस्त प्रभाव था और विकास कार्य लगभग ठप पड़े थे. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में CRPF की पहल, सुरक्षा बलों की सतत उपस्थिति और “मित्र पुलिस” की नीति ने ग्रामीणों में विश्वास पैदा किया है. अब ये गांव धीरे-धीरे मुख्यधारा से जुड़ते जा रहे हैं.

ग्रामीणों के साथ अधिकारियों ने बैठक कर उन्हें विश्वास दिलाया कि अब यहां न केवल सुरक्षा है, बल्कि विकास की राह भी खुलेगी. CRPF की उपस्थिति अब गांव के बच्चों के लिए स्कूल, महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधा और किसानों के लिए सरकारी योजनाओं तक पहुंच का रास्ता बन गई है.

जनकल्याण योजनाओ की जानकारी भी दी गई

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अधिकारियों ने केंद्र सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं – जैसे आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, जनधन योजना आदि की जानकारी भी ग्रामीणों को दी.

ग्रामीणों को बताया गया कि इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए उन्हें कैसे आवेदन करना है, किन दस्तावेज़ों की जरूरत होती है और कहां से मदद मिल सकती है. इसके लिए एक विशेष हेल्प डेस्क की भी व्यवस्था की गई थी, जहां उपस्थित कर्मचारियों ने ग्रामीणों के प्रश्नों का समाधान किया.

सुरक्षा के साथ विकास का वादा

CRPF का सिविक एक्शन प्रोग्राम एक साधारण कार्यक्रम नहीं, बल्कि क्षेत्र में स्थायी परिवर्तन का संकेत है. सुरक्षा बल अब केवल बंदूक लेकर खड़े नहीं, बल्कि दवाइयां, किताबें, रेडियो और मुस्कान लेकर भी गांवों में पहुंचे हैं.

एफओबी मेटागुडम में वर्तमान में तैनात ए और डी/131वीं वाहिनी की यह सोच कि “हर ग्रामीण परिवार का हिस्सा है”, वास्तव में प्रशंसनीय है. यह भावना जब जमीन पर दिखती है, तो ग्रामीण खुद को अकेला नहीं समझते.

समर्पण, सेवा और संवेदना

इस आयोजन के माध्यम से CRPF ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में परिवर्तन केवल बल प्रयोग से नहीं, बल्कि दिलों को जीतने से आता है. सेवा, संवाद और सहयोग से ही विश्वास का पुल बनता है.

मेटागुडम जैसे दुर्गम और संवेदनशील क्षेत्रों में सिविक एक्शन प्रोग्राम के ज़रिए जो आत्मीयता और संवाद कायम हो रहा है, वह आने वाले दिनों में समग्र विकास, स्थायी शांति और खुशहाल समाज की नींव रखेगा.

CRPF की यह पहल उन सभी सुरक्षाबलों के लिए प्रेरणा है, जो हथियार के साथ-साथ सेवा का संकल्प लेकर नक्सलवाद से जूझ रहे हैं. मेटागुडम अब न केवल एक गांव है, बल्कि आशा और बदलाव का प्रतीक बन चुका है.

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