जगदलपुर (डेस्क) – सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने आज शनिवार को सर्व आदिवासी समाज के कार्यालय में आदिवासी समाज से जुड़े विभिन्न गम्भीर मुद्दों और मांगों को लेकर शासन – प्रशासन से साफ – साफ बात करने की बात प्रेसवार्ता में कही है.

पत्रवार्ता में सर्व आदिवासी समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष गंगा नाग ने कहा कि बस्तर में परिस्थितियां लगातार विषम होती जा रही है. इस परिस्थिति में आदिवासी समाज की कुछ चिंताएं उभर कर सामने आ रही है. जिन पर अपनी बात रखना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि बस्तर अंचल के विभिन्न मुद्दों को प्रमुखता के साथ उठाने वाले समाज व संगठन को दबाव डालकर कुचलने के प्रयास किया जा रहा है, ऐसा प्रतीत होता है. जैसे हाल ही में तेंदूपत्ता बोनस घोटाले के सम्बंध में आवाज उठाने वाले पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के घर में छापा मारा गया. यह कार्यवाही आवाज उठाने वाले को दबाने के लिए की गई, यह सब जानते है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जो शिकायतकर्ता है उसी के ऊपर कार्यवाही करना. उन्होंने आगे कहा कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया जिस तरह से किया जा रहा है, उससे शालाओं में विषयवार शिक्षकों की पदस्थापना नही हो पा रही है. जिससे आदिवासी अंचल में शिक्षा की गुणवक्ता की कल्पना वह कैसे कर सकते है. बच्चों की संख्या के आधार पर नही अपितु कक्षा और विषयवार शिक्षकों की पदस्थापना की जावें. वैसे भी बस्तर जैसे शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े क्षेत्र को ज्यादा ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि बस्तर के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि और पूर्व मंत्री कवासी लखमा को जिस तरह से गिरफ्तार कर जेल में रखा गया है, यह प्रतीत होता है कि बस्तर के बुलंद आदिवासी आवाज को दबाने का कहीं प्रयास तो नही है. चूंकि लखमा अपने मंत्रित्वकाल में संभाग के सभी समुदाय के उत्थान के लिए कार्य किया है. विभिन्न मामलों में कैद बंदियों के मामलों को समाप्त करते हुए न्यायालय से उन्हें बरी करवाया. बस्तर में वर्षों से बंद पड़े स्कूलों को उनके प्रयास से पुनः शुरू किया गया. विशेष पिछड़ी जनजाति के बच्चों को कवासी लखमा के प्रयास से एमबीबीएस में प्रवेश दिलवाया गया. स्थानीय भर्ती के मुद्दे पर अपने ही सरकार से लड़ते रहे. जल, जंगल और जमीन को बचाने के विभिन्न आंदोलनों का उन्होंने मुखरता से नेतृत्व किया है. बस्तर के विभिन्न जन मुद्दों को प्रखरता से विधानसभा में उठाते रहे है. ऐसे जनप्रतिनिधि को जेल में बंद करना कहीं न कहीं समाज के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि बस्तर की परिस्थितियों को जब समाज चिंतन करता है तो सामान्य प्रतीत नही होता है, कहीं न कहीं बस्तर के ज्वलंत मुद्दों पर बात करने वाले या काम करने वालों को दबाया जा रहा है. उन्हें शासन – प्रशासन से अपनी बात रखने के लिए रोका जा रहा है. उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्य करने वाले लोगों को दबाने की कोशिश की जा रही है. पेसा कानून और वन अधिकार कानून के प्रावधान के अनुसार बस्तर में क्रियान्वयन नही हो रहा है. नगरनार का निजीकरण कर बस्तर को बड़ी कंपनियों के हवाले करने का प्रयास किया जा रहा है. बैलाडीला की पहाड़ियों और बस्तर के सभी जिलों की खदानों को निजी हाथों में देकर जो लोहा 70 साल में निकाला जाना था, वह 10 साल में ही निकाल लिया जा रहा है. आश्रम शाला और छात्रावास में लगातार आदिवासी लड़कियों के साथ बलात्कार और लैंगिक उत्पीड़न की घटनाएं हो रही है. बस्तर के जंगल और जमीन को बिना विधिवत अधिग्रहण किये विकास के काम के लिए ले लिया जा रहा है. जिससे बस्तर के जंगल में बहुत तेजी से कमी आई है. बस्तर में आदिवासियों की एवं गैर आदिवासियों की जमीनों पर राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत के साथ ही भूमाफियों का गिरोह हड़प रहे है. इसके प्रमाण जगदलपुर शहर में भी मीडिया के माध्यम से उजागर हुए है. ऐसे मामलों में भी कोई कार्यवाही नही हो रही है. बकावंड बस्तर ब्लॉक में आदिवासी जमीनों को लीज पर लेकर अवैध कब्जा किया जा रहा है. भूमाफियाओं पर नियंत्रण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा के द्वारा भूमाफिया नियंत्रण अधिनियम पारित करना जरूरी है. क्योंकि भू राजस्व संहिता की प्रावधानों के तहत नियंत्रण नही हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में बांग्लादेशी अवैध घुसपैठियों के द्वारा यहां की प्राकृतिक संसाधन के साथ – साथ मानवीय संसाधनों पर भी अवैध हड़पान्तरण चल रहा है. इस मामले को लेकर समाज द्वारा 5 – 6 सालों से लगातार आवाज उठाते आ रहा है. लेकिन इस पर कोई कार्यवाही प्रशासन नही करती है. इस मामले को लेकर आदिवासी समाज ने अवैध घुसपैठियों की पूरी जांच करके उनको वापस भेजने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सर्व आदिवासी समाज के मुखिया होने के नाते शासन – प्रशासन से इन मुद्दों पर साफ – साफ बात करना चाहते है. वह इन विषयों पर चिंतन मनन कर रहे है. पत्रवार्ता के दौरान सर्व आदिवासी समाज के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे.

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