सुकमा (डेस्क) –  जिले के कोंटा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कारीगुंडम में धर्मांतरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. बीते शनिवार को पंचायत के अंतर्गत आने वाले 9 गांवों के लगभग 400 ग्रामीण एक विशेष ग्राम सभा में एकत्र हुए. इस सभा का आयोजन 13 धर्मांतरित परिवारों को लेकर समाधान निकालने के उद्देश्य से किया गया था.

ग्राम सभा में उपस्थित ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से यह मांग रखी कि जो परिवार ईसाई धर्म अपनाए हुए हैं और वापस हिंदू धर्म में नहीं आना चाहते, उन्हें गांव से बाहर किया जाए. ग्रामीणों का कहना था कि धर्मांतरण गांव की सामाजिक संरचना और परंपरा के विरुद्ध है.

सभा में 13 धर्मांतरित परिवारों को पेश किया गया और उनकी राय जानने की अनुमति दी गई. इनमें से 7 परिवारों ने ईसाई धर्म छोड़कर पुनः हिंदू धर्म अपनाने की इच्छा जताई. लेकिन 6 परिवारों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे मरते दम तक ईसाई धर्म में ही विश्वास रखेंगे और उसी का पालन करेंगे.

इसके बाद सभा में निर्णय लिया गया कि जो 6 परिवार ईसाई धर्म में ही रहना चाहते हैं, उन्हें गांव से बेदखल किया जाए. इसके बाद ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से उन परिवारों के घर जाकर उनका सामान ट्रैक्टर में लादकर गांव से बाहर कर दिया. यह सुकमा जिले में पहला मामला है, जब ग्राम सभा की शक्तियों का उपयोग कर धर्मांतरित परिवारों को गांव से निष्कासित किया गया है.

सभा को संबोधित करते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच ने कहा कि ग्राम सभा केवल प्रशासनिक संस्था नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और सामूहिक निर्णय का मंच है. उन्होंने कहा कि ग्राम सभा की शक्ति संविधान की धारा 243(A) के अंतर्गत आती है, और इस शक्ति का उपयोग गांव की एकता व परंपराओं की रक्षा के लिए किया गया.

जिन 6 परिवारों को बेदखल किया गया, उन्होंने कहा कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने ईसाई धर्म को नहीं छोड़ेंगे. उनका कहना है कि अगर उनका अस्तित्व मिट भी जाए, तब भी वे ईसाई धर्म के प्रति निष्ठावान रहेंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके सभी दस्तावेज, पहचान और जीवनशैली ईसाई धर्म के अनुरूप ही रहेगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *