चेतन कापेवार, बीजापुर। अंतरराष्टीय साक्षरता दिवस के अवसर पर जिलेभर के प्रेरकों ने इसे काला दिवस के रूप में मनाया। संघर्षशील प्रेरक, पंचायत कल्याण संघ के बैनर तले जुटे जिलेभर के लगभग डेढ़ सौ प्रेरकों ने एक स्वर में राज्य सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। जिलाध्यक्ष धनलक्ष्मी यालम, उपाध्यक्ष सम्मैया सोढ़ी का कहना था कि साक्षरता मिशन कार्यक्रम के तहत करीब तीन सौ प्रेरकों ने महत 2 हजार रूपए के अल्प वेतनमान पर दस वर्षों तक सेवा दी। इसके बावजूद सरकार ने 31 मार्च 2018 को उन्हें सेवा से हटा दिया गया। वही सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने अपने घोषणा पत्र के अलावा मंत्री टीएस बाबा ने भी उन्हें आश्वस्त किया था कि सरकार उनके हित में निर्णय लेगी। इतना ही नहीं वर्तमान 40 विधायकों की तरफ से रोजगार मुहैय्या कराने अनुशंसा पत्र भी दिया गया था। लेकिन सरकार के ढाई बरस बीतने के बाद भी उनकी मांगें जस की तस है।

पदाधिकारियों का कहना है कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है लगातार विधायक-मंत्रियों से मुलाकात , रक्तदान, कोरोना काल में आर्थिक सहयोग के अलावा 25 फरवरी 2021 को नियमित रोजगार की मांग को लेकर धरना पष्चात् ज्ञापन सौंपा गया था। इसके बाद भी सरकार ने उनकी मांगों पर गंभीरता नहीं दिखाई। नतीजतन 10 मार्च को उन्होंने बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी थी। लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर उन्हें आंदोलन स्थगित करना पड़ा था। बताया गया कि साक्षरता मिशन का नाम बदलकर नवसाक्षर कार्यक्रम केंद्र और राज्य सरकार के समन्वय से चलाया जा रहा है। जिसमें सेवारत् रह चुके प्रेरकों की नियुक्त नहीं किया गया है। जिससे प्रेरक संघ आगे चलकर मांगों को लेकर उग्र आंदोलन को बाध्य है।

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