सुकमा (नवीन कश्यप) – केरलापेंदा में पहली बार पंचायत चुनाव का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सुकमा जिले में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने का प्रयास है. यहाँ नक्सली दहशत के कारण पहले कभी मतदान नहीं हो पाया था, लेकिन अब स्थिति में बदलाव आया है और लोग विकास की ओर बढ़ने के लिए मतदान में भाग ले रहे हैं.

केरलापेंदा के ग्रामीणों का यह कदम न केवल स्थानीय लोगों को अपने प्रतिनिधियों का चयन करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की मजबूती को भी दर्शाता है. ग्राम पंचायत चुनाव में भाग लेने वाले लोगों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए अपने मतों का उपयोग करने का मौका मिलता है.

इस चुनाव के परिणामस्वरूप ग्राम पंचायत के नए सदस्यों का चयन होगा, जो क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे. यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो सुकमा जिले में लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मदद करेगा.

आखिर क्यों खास है करेलापेंदा

केरलापेंदा उस वक्त काफी चर्चित हुआ जब दुनिया को पता चला कि दशकों पहले नक्सलियों ने राम मंदिर में पूजा पाठ बंद करवा के ताला जड़ दिया था. और करीब 20 वर्षों के कैद के बाद सीआरपीएफ के कैंप खुलने के बाद ग्रामीणों की मांग पर दुबारा मंदिर खुलवाया गया. जहां भगवान राम ने 14 वर्षों का वनवास काटा था. वहीं केरलापेंदा में राम मंदिर के वनवास खत्म होने के लिए 20 वर्षों का इंतजार करना पड़ा. लेकिन अब क्षेत्र वासी भी विकास का मन बना लिए और गन बुलेट का जवाब अब बेलेट से दे रहे है. केरलापेंदा में मतदान करने और अपनी ग्राम सरकार बनाने के लिए सुबह से ही कतार में खड़े हुए दिखाई दिए और भारी उत्साह के साथ मतदान करते नजर आए.

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