जगदलपुर (डेस्क) – शिक्षा के प्रति एक अभूतपूर्व उत्साह दिखाते हुए, बस्तर जिले ने आज उल्लास परीक्षा (नवभारत साक्षरता कार्यक्रम) के अंतर्गत एक विशाल महापरीक्षा अभियान सफलतापूर्वक संपन्न किया. कलेक्टर हरीश एस और सीईओ जिला पंचायत प्रतीक जैन के मार्गदर्शन में, जिले भर के लगभग 36,000 परीक्षार्थियों ने 771 केंद्रों पर ज्ञान की इस ज्योति को अपनाया.

प्रेरणा की अद्धभुत कहानियां

​इस महापरीक्षा में कई ऐसी कहानियां सामने आईं जो प्रेरणा से भर देती हैं:

● ​जेल से ज्ञान तक : केंद्रीय जेल जगदलपुर के 40 पुरुष और 30 महिला बंदियों ने इस परीक्षा में भाग लेकर यह सिद्ध कर दिया कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती.

● ​हथियार छोड़ कलम थामी : नक्सली पुनर्वास केंद्र आड़ावाल के 40 आत्मसमर्पित पूर्व नक्सलियों ने भी उल्लास की परीक्षा दी. यह उनके जीवन में एक नए, साक्षर अध्याय की शुरुआत है.

● ​परिवार संग परीक्षा : कई केंद्रों पर पति-पत्नी, देवरानी-जेठानी और सास-बहू की जोड़ियों ने एक साथ परीक्षा दी, जैसे लोहण्डीगुडा में हाड़ीराम कश्यप और हेमवती कश्यप, और मांदलापाल में सास पेटली और बहु सन्ती. इन परिवारों ने दिखाया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती.

● ​दिव्यांग भी आगे : दिव्यांग परीक्षार्थी मंगली ने भी खुशी-खुशी इस महाभियान में शामिल होकर हौसला बढ़ाया.

स्वयंसेवियों का निस्वार्थ समर्पण

​जिला नोडल अधिकारी राकेश खापर्डे ने स्वयंसेवियों के निस्वार्थ भाव की सराहना की. उन्होंने बताया कि नागरिक और छात्र बिना किसी मानदेय या राशि के, स्वेच्छा से असाक्षरों को साक्षर करने का पुनीत कार्य कर रहे हैं. ये स्वयंसेवी ही इस अभियान की असली रीढ़ हैं.

​आदर्श केंद्र चिलकुटी में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा स्वयंसेवी छात्राओं का पुष्पगुच्छ से सम्मान किया गया, जो उनके अमूल्य योगदान के प्रति आभार व्यक्त करता है.

​बस्तर का यह महापरीक्षा अभियान सिर्फ एक इम्तिहान नहीं, बल्कि ज्ञान की रोशनी फैलाने, सामाजिक समावेश और सशक्तिकरण की एक विशाल जीत है.

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