सुकमा (डेस्क) – बस्तर में शांति और विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सुकमा जिले के 5 सक्रिय माओवादियों ने आज आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया है. थाना चिंतलनार और जगरगुंडा क्षेत्र में सक्रिय रहे इन माओवादियों ने नक्सली संगठन की अमानवीय सोच और भीतर के शोषण से तंग आकर आत्मसमर्पण का रास्ता चुना है.
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय सुकमा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (नक्सल ऑप्स) रोहित शाह और सीआरपीएफ 131 वीं बटालियन के सहायक कमांडेंट अमित श्रीवास्तव के समक्ष बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया है. आत्मसमर्पण की यह कार्रवाई शासन की “छत्तीसगढ़ माओवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति – 2025”, “नीयद नेल्ला नार” योजना और “पुना मारगेम” अभियान के तहत की गई है.
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी वर्षों से संगठन में सक्रिय थे और उन्होंने पुलिस पार्टी की रेकी, आईईडी प्लांटिंग, मार्ग बाधा, पोस्टरबाजी जैसी नक्सली गतिविधियों में भाग लिया था. आत्मसमर्पण के इस फैसले में थाना चिंतलनार व सीआरपीएफ 74 वीं और 131 वीं बटालियन की आसूचना इकाइयों की भूमिका अहम रही है.
आत्मसमर्पित माओवादियों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत 50 – 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे वे नए जीवन की शुरुआत कर सकें.
आत्मसमर्पित माओवादियों के विवरण इस प्रकार है –
1. माड़वी कोसा (उम्र 35) – ग्राम पेद्दाबोड़केल, डीएकेएमएस अध्यक्ष.
2. माड़वी कमलेश उर्फ हुंगा (उम्र 32) – ग्राम कोत्तापाड़, डीएकेएमएस सदस्य.
3. नुप्पो लखमा (उम्र 40) – ग्राम पेद्दाबोड़केल, आरपीसी सरकार सदस्य.
4. माड़वी जोगा (उम्र 45) – ग्राम पेद्दाबोड़केल, जंगल कमेटी अध्यक्ष.
5. माड़वी पोज्जा (उम्र 34) – ग्राम पेद्दाबोड़केल, मिलिशिया सदस्य.
पुलिस प्रशासन का कहना है कि “पुना मारगेम” यानी नई राह की ओर अब केवल अभियान नहीं, बल्कि बस्तर की बदलती पहचान बन चुका है. आने वाले दिनों में और भी माओवादी इस पहल से प्रेरित होकर आत्मसमर्पण करेंगे, जिससे बस्तर में स्थायी शांति और समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.