बस्तर- घने जंगलों व आदिवासी बहुल इलाके के गांव अब दुनियाभर में छा रहे हैं. छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा पर बसे तिरिया ग्राम ने विश्व में अपनी पहचान बनाई है. विश्व में पहचान बनाने के पीछे का महत्वपूर्ण कारण सामूहिक परिश्रम और एकजुटता है. बीते दिनों तिरिया ग्राम को 2025 में कलेक्टिव एक्शन अवार्ड्स 190 समुदायों में से 15 स्थान पर सम्मानित किया गया है. जो भारतदेश का इकलौता गांव है. जिसके कारण तिरिया ग्राम पूरे भारत देश में आदर्श ग्राम का उदाहरण बनकर सामने आया है. यह सम्मान RRI ने प्रदान किया है. RRI एक वैश्विक गठबंधन है. जो अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में आदिवासी समुदायों के भूमि अधिकारों की मान्यता और संरक्षण के लिए कार्य करता है.
तिरिया ग्राम छत्तीसगढ़ और ओड़िसा बॉर्डर पर मौजूद है. बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से इसकी दूरी करीब 30 है. यह पूरा क्षेत्र माचकोट वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस गांव की जनसंख्या करीब 420 है. गांव के लोगों ने वन अधिकार कानून के तहत 2023 में विभाग में दावा प्रस्तुत किये. जिसके बाद उन्हें वन अधिकार कानून के तहत 3057.76 हेक्टेयर भूमि पर अधिकार पत्रक मिला. जिसके बाद वनों की सुरक्षा, गांव की सुरक्षा व्यवस्था और ग्राम सभा के तहत विभिन्न कार्यों को शुरू किए.
वन प्रबंधन समिति ने बताया कि वन प्रबंधन के साथ ही गांव के लोगों के लिए रोजगार की भी आवश्यकता है. जिसे देखते हुए तिरिया संगम को पर्यटन के लिए विकसित करना शुरू किया गया. साल 2023 से तिरिया में पर्यटन शुरू करके कार्य शुरू किया गया. तिरया में गणेश बहार व शबरी नदी का संगम है. और जलप्रपात की धारा की तरह गणेश बहार से पानी नीचे शबरी नदी में मिलता है. यह दृश्य काफी मनमोहन होता है. जो तिरिया ग्राम के लोगों को कुदरत ने गिफ्ट के रूप में दिया है. ग्रामवासियों के हस्तक्षेप से पहले यह पूरा इलाका गंदगी से भरा हुआ था. और सभी जगह झाड़ियों से भरी हुई थी. आकर्षित करने वाला दृश्य देखने को नहीं मिलता था. जैसे ही ग्रामवासियों का हस्तक्षेप हुआ. सभी लोगों ने मिलकर पहले सफाई की. उसके बाद एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए बड़े बड़े लकड़ियों और बांस से चटाई बनाकर उसे नाला में डाला गया. साथ ही पूरे इलाके को बेहतरीन तरीके से सफाई करके टूरिस्ट प्लेस बनाया. डेवलप करने में करीब 1 साल का समय ग्रामीणों को लगा. सभी ने अपना श्रमदान दिया. और 1 साल तक उन्हें कोई मुनाफा नहीं मिला. एक साल के बाद धीरे धीरे लोगों का आना शुरू हुआ. और यह जगह प्रबंधन कार्य और टूरिस्ट प्लेस के नाम पर देश दुनिया में जाने जाना लगा.
साल 2024 में इसी ग्राम में पर्यटकों के लिये एक्टिविटी भी शुरू की गई. और बेम्बू राफ्टिंग का शुभारंभ किया गया. ताकि पर्यटकों को प्रकृति से जुड़ने का अवसर मिले. जिसके बाद यह निरंतर किया जा रहा है. यूं तो एक व्यक्ति का चार्ज 100 रुपये प्रतिदिन होता है. लेकिन शुक्रवार के दिन पर्यटको के लिए ग्रामवासियों ने ऑफर रखा है. इस दिन 50 रुपये की छूट है. इसके अलावा आजीविका बढ़ाने के लिए गांव के 2 बड़े तालाबो में गहरीकरण करके मछली पालन करने की भी योजना है.
जंगलो की ऐसे कर रहे सुरक्षा
वन प्रबंधन कार्य के तहत प्रतिदिन गांव के लोग अपने पूरे इलाके के जंगलो व आसपास के जंगलो में गश्त करते हैं. और बास्ता तोडने व लकड़ी काटने वालो पर कार्यवाही की जाती है. उन्हें भगाया जाता है. शुरुआत में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. लेकिन अब लगातार प्रतिदिन गश्ती से लोग जंगल लड़की काटने नहीं आ रहे हैं. जिससे अब बीते सालों के मुताबिक जंगल घना हो रहा है. गश्ती का कार्य दिन और रातः दोनों समय किया जाता है. बीते सालों में जब से ग्राम वासियों को अधिकार मिला है. उस समय से ग्रामीणों ने जंगल में 1 भी जगह आग लगने नहीं दिया है. इसके साथ ही अधिकार क्षेत्र के ग्राम सोररास इलाके में लगातार अतिक्रमण कार्य को रोका गया. और उन्हें वहां से हटाया गया. अब वहां पौधरोपण का कार्य किया जाएगा. इसके अलावा हजारों रुपये की लागत से पर्यटन स्थल के नजदीक पौधे भी ग्रामीणों ने पैसे खर्च करके लगाए हैं. ताकि उसे और सुंदर व प्राकर्तिक बनाया जा सकें. वहीं बाहर से आने वाले कचरों को इकट्ठा करने के लिए बांस की टोकरी बनाई गई है. जिसका इस्तेमाल डस्टबिन के लिए किया जाता है. इसमें सूखा, गीला और प्लास्टिक कचरा अलग अलग रखा जाता है.
हर महीने ग्रामीणों की बैठक
प्रबंधन समिति ने बताया कि हर सप्ताह समिति के कोर टीम की बैठक होती है. और महीने में एक बार ग्राम सभा की बैठक होती है. जिसमे गांव के सभी लोग मौजूद रहते हैं. और अधिकतर यह बैठकें रातः में होती है. जिसमें महिलाएं भी बैठती हैं. इसके साथ ही जून से सितंबर तक बारिश के कारण पर्यटन स्थल को पर्यटकों के लिये बंद किया गया है. इसी दौरान लोगों के पास पर्यटन पर कार्य नहीं होने से वे बैठक करते हैं. और किस किस तरह पर्यटन को विकसित किया जाए. इस पर योजना बनाते हैं. आजीविका बढ़ाने व बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए ठहरने की व्यवस्था के लिए होम स्टे बनाने की भी योजना है. जिस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है. अपने बैठक व लाइव जैकट जैसे अन्य सामग्रियों को रखने के लिए कक्ष भी बनाया जा रहा है.
अध्ययन का क्षेत्र भी बना तिरिया
तिरिया ग्राम के प्रबंधन कार्य को देखने और इस पर अध्ययन करने के लिए भारतदेश के अलग अलग राज्यों के लोग पहुंचते हैं. और लोगों से जुड़कर उनसे पूरे प्रबंधन कार्य की जानकारी लेते हैं. कैसे ग्रामीणों ने प्रबंध किया है. और गांव के साथ जंगलो को सुरक्षित रखा है. पहले बस्तर के युवा बाहरी राज्यो का रुख प्रशिक्षण लेने जाया करते थे. और उसे लेकर बस्तर में कार्य करते थे. लेकिन अब बस्तर में लोग आकर सिख रहे हैं. जो बस्तर के लिये एक बड़ी उपलब्धि है.
तिरिया ग्राम के इन्ही सब कार्यों को RRI ने ग्राम को विकसित प्रबंधन गांव के रूप में सम्मानित किया है. ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे ही पूरे बस्तर संभाग के गांवों को अधिकार पत्रक के लिए आगे आना चाहिए. और अपने गांव व जंगल को सुरक्षित रखना चाहिए. ताकि जंगल बचाया जा सके. क्योंकि जंगल रहने से बस्तर में आम आदमी स्वस्थ रूप से जीवन जी सकेगा.
संस्कृति की झलक
इसके साथ ही तिरिया ग्राम में निवासरत धुरवा जनजाति के लोग पर्यटन स्थल में अपनी संस्कृति की भी झलक दिखाते हैं. सब एक स्वर में लोक गीत गाते हैं. और एक ड्रेस पहनकर कतार में नृत्य भी करते हैं. जो काफी आकर्षक होता है. और लोग इसे देखते ही रहते हैं. साथ ही पर्यटक उनके साथ मिलकर डांस भी करते हैं.