बीजापुर (चेतन कापेवार)। बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे के लिए तैनात जवान जिस जांबाजी से नक्सलियों को मुंहतोड़ जबाब दे रहे, इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर मानवता की मिसाल भी बनते रहे है। मंगलवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया, जब जंगल – नालों को लांघ एक आदिवासी परिवार की उम्रदराज बीमार महिला बेको सनकी को खाट पर लादकर कोरसागुडा से तररेम लेकर पहुँचे थे। यहाँ सीआरपीएफ कोबरा की कोबरा कम्पनी के कंटीले तार बाड़ से कुछ दूर सड़क किनारे इस उम्मीद में थे कि उन्हें कोई वाहन या एम्बुलेंस की सुविधा मिल जाये। इसी बीच काफी देर से खड़े ग्रामीणों को देख कोबरा का एक जवान उनके पास मसीहा बनकर आया तक्लीफ समझ आई तो देर ना करते जवान ने आपात एम्बुलेंस सेवा के लिए फोन पर सम्पर्क किया। लेकिन इमरजेंसी सेवा की लचर सेवा से कंट्रोल रूम से कॉल कनेक्ट नही हुआ। इस बीच सिलगेर से लौट रही मीडिया कर्मी की वाहन वहाँ आकर रुकी। माजरा समझते देर ना लगी और एम्बुलेंस के इंतजार में समय ना जाया करते हुए जवान के सहयोग से बीमार महिला को वाहन में सवार कर बासागुड़ा अस्पताल पहुंचाया गया। मसीहा बने जवान ने अपना नाम जय गिरि बताया, जो कोबरा में हेड कांस्टेबल के पद पर पदस्थ है। हालांकि जवान कैमरे पर कुछ भी कहने को तैयार नही हुआ। बहरहाल मसीहा बने जवान के प्रयासों से खाट पर जिंदगी मौत से जूझ रही महिला को समय रहते अस्पताल पहुंचाने में सफलता जरूर मिली।

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