गनपत भारद्वाज, जगदलपुर- बस्तर में इन दिनों जुआरियों के हौसले बुलंद हैं. जुआरियों द्वारा बस्तर की संस्कृति के नाम पर आयोजित होने वाले मेला की आड़ में जुआनुमा ख़ुड़खुड़ी का खेल खिलाते नज़र आ रहे हैं. जिसमें छोटे बच्चों से लेकर बस्तर के ग्रामीण रुपए पैसों का दांव लगाते दिख रहे हैं. ताज़ा मामला कोडेनार थाना क्षेत्र के काटाकांदा का है. जहां ग्रामीणों के द्वारा प्रतिवर्ष की भांति 26 जनवरी के अवसर पर 2 दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है. साथ ही मुर्गा बाज़ार भी लगाया जाता है. लेकिन जुआरी इस इलाके में सक्रिय होने के कारण मेला व मुर्गा बाज़ार की आड़ में दिन-दहाड़े जुआरी खिडखिड़ी का जुआ खिलाते दिखे. जिसका वीडियो भी सामने आया है.
दरअसल बस्तर संभाग एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. और बस्तर को आज भी पिछड़ा माना जाता है. क्योंकि बस्तर के अधिकांश लोग अशिक्षित हैं. इसके बावजूद भी बस्तर अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही आदिवासी कल्चर, लोक कला, साहित्य और लोक नृत्य के लिए पूरे देश विदेश में विख्यात है, आदिवासी क्षेत्रों के संस्कृतियों में बस्तर की संस्कृति एक अलग ही पहचान रखती है. लेकिन इन दिनों बस्तर में सक्रिय जुआरियों की चारो तरफ हो रही चर्चा ने बस्तर का माहौल बिगाड़ रखा है. मेला व मुर्गा बाजारों की आड़ में हो रहे इस ख़ुड़खुड़ी खेल में बस्तर के ग्रामीणों का भविष्य ख़तरे में नजर आ रहा है. क्योंकि जुआरी दिनदहाड़े जुआ का खेल खिलाते नज़र आ रहे हैं. सूत्रों से यह भी जानकारी मिलते आती है कि पुलिस इन जुआरियों की अंदरूनी तौर पर मदद भी करते हैं. इस कारण ही जुआरियों के हौसले बुलंद हैं. इस संबंध में कोड़ेनार पुलिस के संपर्क किया गया. तकनीकी कारणवश संपर्क नहीं हो पाया.
अब देखना होगा कि ख़बर प्रकाशित करने के बाद काटाकांदा में जुआ खिला रहे जुआरियों के ख़िलाफ़ क्या कुछ कार्रवाई होती है.