चेतन कापेवार बीजापुर- प्रदेश के मुख्यमंत्री बस्तर दौरे पर पहुंच चुके हैं और आज सुकमा के गोंडा में जन चौपाल लगाकर समस्या का निराकरण कर रहे हैं मुख्यमंत्री लगातार हर जिलों में पहुंचकर जन चौपाल लगाकर लोगों की समस्या सुन रहे हैं और तत्काल प्रभाव से समस्याओं का निराकरण भी करते नजर आ रहे हैं कई जिलों के अधिकारियों की लापरवाही पर निलंबन की कार्रवाई भी कर चुके हैं। लेकिन अब मुख्यमंत्री के दौरे पर अब विपक्ष मांग भी कर रही है। इसी बीच जनता कांग्रेस के जिला अध्यक्ष विजय झाड़ी ने मुख्यमंत्री से जन चौपाल भेंट मुलाकात सिलगेर में लगाने की मांग की है।

साथ ही यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री भुपेश बघेल का विधानसभा दौरा और ताबड़तोड़ कार्रवाई चुनावी स्टंट से बढ़कर कुछ नहीं। मुख्यमंत्री बघेल जन चौपाल, भेंट मुलाकात के जरिए घटते जनाधार को वापस पाने की जुगत में नजर आ रहे हैं। बुधवार से मुख्यमंत्री का बस्तर दौरा भी शुरू हो चुका है। गुरूवार और शुक्रवार को मुख्यमंत्री बीजापुर के दौरे पर रहेंगे। मेरा मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वे कुटरू, आवापल्ली ना जाकर सिलगेर जाएं। खुद को आदिवासियों का हितैषी बताने वाले मुख्यमंत्री उन आदिवासियों के बीच पहुंचे, जो पिछले एक साल अपने उपर हुए ज्यादती, उत्पीड़न को लेकर आंदोलनरत् है। अब तो उनके मंत्री कवासी लखमा ने भी सिलगेर घटना पर दुख जताया है, इसलिए छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस मांग करती है कि अगर प्रदेश के मुखिया को बस्तर के आदिवासियों की जरा सी फिक्र है तो सबसे पहले सिलगेर पहुंचे। आंदोलनरत् आदिवासियों के बीच चौपाल लगाएं, उनकी फरियाद सुने, उन पर हो रहे अत्याचारों की फेहरिस्त कितनी लम्बी है, उसका विशलेषण करें, सही मायनों में चौपाल की दरकार सिलगेर, बुरजी में हैं, जहां आदिवासी महीनों-महीनों से आंदोलनरत् है, बावजूद सरकार को उनकी कोई फिक्र नहीं। उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। बीते बरस तीन आदिवासियों की गोलीकांड में हत्या हो गई। कौन जबावदार है, मुख्यमंत्री अपने दौरे से पहले इसका जबाव दें।
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस मुख्यमंत्री से यह पूछना भी चाहती है कि उनके उस वायदे का क्या हुआ जिसमें जेलों में बंद बेगुनाह आदिवासियों की रिहाई की बात कही गई थी, अपने वायदे पर सीएम कहां तक अमल कर पाएं, बस्तर की जनता मुख्यमंत्री से इस सवाल का जबाव चाहती है। जब वायदे पूरे नहीं कर सकते तो झूठे वायदे क्यों किए गए।
सिलगेर में जो हालात है उस पर सीएम ने कहां तक संज्ञान लिया है, इस सवाल का जबाव भी वे दें। जब मुख्यमंत्री लखीमपुर पहुंचकर पीड़ितों को मुआवजा देने की घोषणा कर सकते हैं तो सिलगेर गोलीकांड के पीड़ितों को क्यों नहीं। बस्तर और लखीमपुर के पीड़ितों में ऐसा भेदभाव क्यों। मुख्यमंत्री का प्रत्येक विधानसभाओं का दौरान चुनावी तैयारी से बढ़कर कुछ नहीं। साढ़े तीन साल में भूपेश यह समझ गए हैं कि प्रदेश की जनता का उनसे मोह भंग हो चुका है। जनाधार घट चुका है। विधायकों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट में यह बात खुलकर बाहर आ चुकी हैं। अब अपनी सत्ता बचाने सीएम विधानसभाओं का दौरा कर रहे हैं। इससे कही भी बस्तर की जनता का हित नजर नहीं आता, क्योंकि जब सीएम सिलगेर में आंदोलनरत् हजारों आदिवासियों के बीच जाने की हिम्मत नहीं जुटा सकते तो सरकारी तामझाम में उनका चौपाल का कोई मोल नहीं रह जाता।