जगदलपुर (डेस्क) – नगर के सिंधी समाज की महिलाओं के द्वारा तीजड़ी एवं थदड़ी पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. किसी भी धर्म के त्यौहार और संस्कृति उनकी पहचान होती हैं.
सिंधी समाज की पूजन प्रभारी चंद्रा देवी नवतानी ने बताया कि तीजड़ी पर्व जिसे सिंधी तीज भी कहा जाता है. सिंधी समुदाय में मनाया जाने वाला यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है. यह त्यौहार पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए मनाया जाता है. महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं, पूजा – अर्चना करती हैं और तीजड़ी की कथा सिंधी गुरुद्वारा में सुनती हैं. यह त्यौहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार तीजड़ी 12 अगस्त मंगलवार को मनाई जाएगी. तीजरी व्रत सिंधी समुदाय में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव है, जो भक्ति, आशा और आशीर्वाद की गहरी परंपराओं को दर्शाता है.
तीजड़ी त्यौहार पार्वती के अपने पति के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक है. जब भारतीय महिलाएँ तीज के दौरान उनका आशीर्वाद लेती हैं, तो वे ऐसा एक मज़बूत वैवाहिक जीवन और एक उत्तम पति पाने के लिए करती हैं. तीज न केवल एक मज़बूत वैवाहिक जीवन पर केंद्रित है, बल्कि यह बच्चों की खुशी और स्वास्थ्य पर भी केंद्रित है. तीजड़ी दिवस में झूले पर 3 मटकियों में बोये हुवे हरा मुंग, गेहूं, तिल की पूजा की जाती हैं.
सिंधी पंचायत की सुहिणी सोच महिला विंग अध्यक्षा लक्ष्मी नवतानी ने बताया कि महिलाएँ तीजड़ी व थदड़ी की रात में चाँद को अर्ग देकर भोजन ग्रहण करती हैं. हमारे समाज के तीजड़ी पर्व व थदड़ी त्यौहार में यदि चंद्रमा नहीं दिखता तो महिलाएँ आमतौर पर अगली सुबह पूजा करने के बाद अपना व्रत तोड़ देती हैं. थदड़ी पर्व पर ठंडा खाना खाया जाता है, जो एक दिन पहले बनाया जाता है. इसमें, दाल पकवान, लोलो, कोकी, साई भाजी, मसाला करेला, तरियल भिंडी, तरियल पटाटा, बेसानी, बूंदी रायता, और पूरी जैसे व्यंजन शामिल होते हैं. यह पर्व शीतला माता को समर्पित है, और इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता है.
सुहिणी सोच महिला विंग सचिव भारती लालवानी ने बताया थदड़ी, जिसे सिंधी समुदाय द्वारा मनाया जाता है. शीतला माता को समर्पित एक पर्व है, जो रक्षाबंधन के सातवें दिन मनाया जाता है. इस दिन सिंधी समाज ठंडे भोजन का भोग माता शीतला को लगाता है और उनकी पूजा – अर्चना करता है. थदड़ी पर्व का सिंधी भाषा में अर्थ है “ठंडी” या “शीतलता” महीना और तिथि. यह पर्व सिंधी माह के सावन में सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार 15 अगस्त शुक्रवार को थदड़ी पर्व मनाएंगे. इस दिन, सिंधी समाज सदस्य घरों में चूल्हा नहीं जलाते हैं और ठंडा भोजन करते हैं. थदड़ी पर्व शीतला माता की पूजा के लिए मनाया जाता है, जो बीमारियों, विशेषकर चेचक और अन्य त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाती हैं. थदड़ी के दिन, बहन – बेटियों को मायके बुलाया जाता है और ससुराल में भी फल और व्यंजन भेजे जाते हैं. इस दिन सिंधी समाज के लोग एक दिन पहले ही भोजन बनाकर रख लेते और अगले दिन शीतला माता को भोग लगाकर ठंडा भोजन करते हैं. थदड़ी पर्व सिंधी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो शीतलता, शांति और समृद्धि का प्रतीक है. थदड़ी पर्व सिंधी संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है. यह न केवल शीतला माता की पूजा का पर्व है, बल्कि यह परिवार और समुदाय के मिलन का भी पर्व है. इस दिन सिंधी समाज के लोग एक साथ आते हैं, भोजन करते हैं, और शीतला माता से परिवार की सुख – समृद्धि और आरोग्यता की कामना करते हैं.