सुकमा (डेस्क) – जिले में पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के घर पर EOW और ACB द्वारा की गई छापेमारी के विरोध में आज सुकमा बंद का आह्वान किया गया है. सीपीआई और बस्तरिया राज मोर्चा के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं और जिले के व्यापारियों ने अपनी दुकानें और प्रतिष्ठान बंद कर दिए हैं.

बंद के समर्थन में उतरी कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने भी इस कार्यवाही को लेकर कड़ा विरोध जताया है और बंद का समर्थन किया है. कार्यकर्ताओं ने EOW और ACB की कार्यवाही को लेकर नाराजगी जताई है और इसे राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया है.

क्या है मामला ?

10 अप्रैल गुरुवार को ACB और EOW की टीम ने सुकमा जिले में 6 अलग – अलग जगहों पर छापेमारी की थी, जिसमें पूर्व विधायक मनीष कुंजाम भी शामिल थे. इस कार्रवाई के बाद अब सुकमा बंद का आह्वान किया गया है और लोगों ने अपना समर्थन देना शुरू कर दिया है.

मामले पर प्रदेश सचिव दुर्गेश राय ने भाजपा पर कंसा तंज

प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश सचिव दुर्गेश राय ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भाजपा विपक्ष के नेताओं को दबाने के लिए सरकारी तंत्रों का इस्तेमाल कर रही है आने वाले समय में इस क्षेत्र में लगने वाले उद्योगों के खिलाफ कोई आवाज न उठा सके इसलिए द्वेषपूर्ण कार्यवाही की जा रही है.

सीपीआई नेता रामा राम सोढ़ी ने क्या कहा ?

सीपीई नेता रामा सोढ़ी ने भी इस कार्यवाही पर तंज कसते हुए कहा कि 10 अप्रैल को eow और एसीबी के द्वारा पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के घर छापामार कार्यवाही की गई जो निंदनीय है,जिस व्यक्ति ने तेंदूपत्ता बोनस वितरण मामले में हुए गड़बड़ी का मुद्दा उठाया और कलेक्टर से इस मामले को लेकर जांच करने की अपील की थी. उसके ही घर पर छापा मारा गया जो कि सरासर निंदनीय है. रामा सोढ़ी ने आगे कहा कि पिछले दिनों हुए जिला पंचायत और जनपद पंचायत चुनाव में सीपीई द्वारा भाजपा को समर्थन नहीं देने के कारण भाजपा की सरकार नहीं बना पाई, ये भी एक कारण है. जिसके चलते भाजपा ये द्वेषपूर्ण राजनीति के बदले की भावना से कार्यवाही कर रहे हैं.

तेंदूपत्ता बोनस वितरण मामला क्या है, इसे भी समझे 

यह पूरा मामला वर्ष 2020-21 का है जहां तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाले बोनस जो कि लगभग 6.54 करोड़ रुपए है. इस बोनस राशि पर अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा मिलीभगत करके राशि का बंदरबाट किया गया था. जिसके शिकायत के बाद बोनस राशि के भुगतान में गड़बड़ी की प्राथमिक जांच में सुकमा डीएफओ की भूमिका संदिग्ध मिली और इस पर वन विभाग ने कड़ा एक्शन लेते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दो साल की बोनस राशि में प्रबंधकों ने केवल एक साल का ही भुगतान किया, वो भी आधा – अधूरा. वनमंडल सुकमा के कोंटा, किस्टाराम और गोलापल्ली वन परिक्षेत्र में कई फर्जी संग्राहकों के नाम पर भुगतान दर्शाया गया है. जांच के दौरान अफसरों ने इसे पकड़ लिया. कई ऐसे संग्राहकों को भी राशि दी गई है, जिनकी मौत सालों पहले हो चुकी है. मिली जानकारी के मुताबिक सुकमा वनमंडल के तहत तेंदूपत्ता सीजन वर्ष 2021 में 15 समिति और वर्ष 2022 में 10 समितियों में कुल 65471902 रुपए की राशि बोनस के रूप में मिली थी. इसे सुकमा वनमंडल के करीब 66 हजार संग्राहकों को भुगतान किया जाना था. इस राशि को बीते अप्रैल में ही समिति प्रबंधकों ने आहरण कर लिया और 8 महीने तक इसका भुगतान संग्राहकों को नहीं किया. नक्सलवाद और संवेदनशीलता का हवाला देकर अफसरों ने 36278881 की राशि का वितरण नगद करने विशेष अनुमति ली. इसी नगद भुगतान में समिति प्रबंधकों ने खेल कर दिया.

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