जगदलपुर (डेस्क) – विगत एक माह से बस्तर जिला जल संकट से जूझ रहा था इसका कारण बस्तर की प्राण दाहिनी इंद्रावती नदी का जल जोरा नाल में अधिक मात्रा में प्रवाहित होना था.
इस वजह से बस्तर में इंद्रावती नदी सूखने के कगार पर पहुंच गई थी और किसने की खड़ी फसल चौपट हो गई थी किसानों के संकट को देखते हुए और इंद्रावती के जल संकट को देखकर बस्तर सांसद महेश कश्यप ने इस विषय को विगत 3 अप्रैल को लोकसभा में उठाया था. इसके बाद केंद्र सरकार इस समस्या के निराकरण का आश्वासन दिया था. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इस मुद्दे पर अहम भूमिका निभाते हुए केंद्र सरकार को इंद्रावती जल संकट के विषय में अवगत कराया था.

इस मुद्दे पर रविवार को ओडिशा सरकार ने कदम उठाते हुए छत्तीसगढ़ के हिस्से का 49 फ़ीसदी पानी प्रदान करने का आश्वासन दिया है इस संदर्भ में उड़ीसा सरकार ने जोरा नाला एनीकेट में लगाई गई बोरियों को भी हटाया है, जिससे बस्तर की इंद्रावती नदी में जल का प्रवाह बढ़ा है. ज्ञात रहे की बस्तर अंचल के किसानों ने सांसद महेश कश्यप से मिलकर इंद्रावती जल संकट के विषय में गुहार लगाई थी इसके बाद सांसद महेश कश्यप प्रशासनिक स्तर पर इस समस्या के निदान का प्रयास कर रहे थे और लोकसभा में भी इस विषय को उठाया था. बस्तर सांसद और छत्तीसगढ़ सरकार के संयुक्त प्रयास से आने वाले समय में इंद्रावती में जल संकट ना हो इसके लिए नदी में साढ़े तीन करोड़ की लागत से इंद्रावती – जोरानाला के अपस्ट्रीम एवं डाउनस्ट्रीम में जमा सिल्ट, लूज बोल्डर, पत्थर, रेत की बोरी, मिट्टी इत्यादि को स्थाई रूप से नदी से बाहर करने हेतु उड़ीसा राज्य के द्वारा तैयारी किया जा रहा है, जिससे पानी का बहाव नैसर्गिक तरीके से होता रहेगा एवं छत्तीसगढ़ राज्य को अपने हिस्से का 50 प्रतिशत पानी मिलना शुरू होगा. इस पर आने वाला खर्च भी उड़ीसा सरकार देगी. स्वीकृति मिलने के बाद एजेंसी तय कर जून 2025 तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

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