जगदलपुर (अमन दास मानिकपुरी) – नगरनार इस्पात के निजीकरण को लेकर एक बार फिर मामला गम्भीर होता दिखाई दे रहा है. नगरनार के निजीकरण के विरोध में जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति विरोध में उतर चुकी है. बीते रविवार को झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों द्वारा इस्पात के निजीकरण को लेकर धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया था. वहीं आज मंगलवार को इस्पात सचिव संदीप पौड्रिक इस्पात दौरे पर जगदलपुर पहुँचे हुए थे. इस दौरान इस्पात के विनिवेशीकरण का विरोध कर रहे जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों ने अध्यक्ष रैनु बघेल के नेतृत्व में इस्पात सचिव से मुलाकात की हैं.

जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति के अध्यक्ष रैनु बघेल ने जानकारी देते हुए बताया कि नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण के विरोध में हमारी परिवहन समिति पुरजोर विरोध कर रही है. रविवार को हमारे समिति की ओर से इस मामले को ले कर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था. आज नगरनार प्लांट पहुँचे इस्पात सचिव से हमारे समिति के सदस्यों ने मुलाकात की है. इस दौरान उनसे हमने नगरनार प्लांट के विषय मे चर्चा की हैं. साथ ही कई विषयों को ले कर उन्हें ज्ञापन भी सौंपा है. उन्होंने कहा कि नगरनार के विनिवेशीकरण को ले कर हम अंतिम साँस तक विरोध करते रहेंगे.

जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों की ये है मांगे –

(1) नगरनार के आसपास बस बस्तर संभाग के आदिवासियों का पुस्तैनी जमीन पर एनएमडीसी की ओर से स्टील प्लांट स्थापित किया गया है. यह कंपनी हमारे विकास में सहायक बनी है. हमें रोजी – रोटी, रोजगार, बच्चों की नौकरी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं देकर हमें लाभान्वित कर रही है. इसी के लिए हम लोगों ने अपने जीवन के एकमात्र आधार जंगल और जमीन को एनएमडीसी के सुरक्षित हाथों में सौंपा था. यह सोचकर कि भारत सरकार की ये संस्था संवैधानिक तरीके से हमारे हितों के संरक्षण और संवर्धन में सहायक होगी. कंपनी ने अपने सेवा कार्यों से हमेशा इसका एहसास कराया और हमें मायूस नहीं होने दिया.

(2) एनएमडीसी एकमात्र ऐसी कंपनी है, जो बस्तर के आसपास के आदिवासी समुदाय को अपना परिवार समझकर उनकी देखभाल करती है. हम आदिवासी भी मानते हैं कि अपने पुरखों की जिस संचित जमीन को जिस उद्देश्य से हमने कंपनी को ट्रांसफर किया था वो पूरा हो रहा है.

(3) नगरनार का एनएमडीसी स्टील प्लांट केवल प्लांट नहीं है, यह बस्तर के आदिवासी लोगों के जीवन की आशा, उम्मीद और जीने का आधार है. हमारा जीवन, हमारा प्राण एवं हमारे परिवारों की भावनाएं नगरनार इस्पात संयंत्र से जुड़ी हुई है. ऐसा स्नेह और परस्पर विश्वास का बंधन कोई भी निजी कंपनी से नहीं बन सकता, चाहे वो कितनी बड़ी क्यों ना हो. हम सब ये जानते और मानते है कि प्राइवेट कंपनियों का पहला लक्ष्य मुनाफा कमाना होता है. वे हमारे हितों की रक्षा नहीं कर सकते.

(4) हम मानते हैं कि प्राइवेट हाथों में नगरनार इस्पात संयंत्र का जाना, यहां की विशाल आदिवासी समाज की भावनाओं के साथ धोखा है. उनकी जीवन भर की जमा पूंजी से खिलवाड़ है. हमारी सदियों की आस्था और भावना का निरादर है. हमारी संवेदना और सपनों के साथ क्रूर मजाक है. एनएमडीसी स्टील प्लांट, नगरनार के साथ जैसा हमारा अपनापन और प्रेम है. जो प्यार एवं सम्मान हमें मिलता रहाहै वो किसी प्राईवेट के हाथों में प्रबंधन सौंपे जाने के बाद नहीं मिल सकता.

(5) हम लोगों ने अपने परिवार, समाज और पर्यावरण के व्यापक हितों को देखते हुए अपनी जमीन कंपनी को सौंपी थी, किसी प्राइवेट के हाथों देने के लिए नहीं. इस कंपनी से हमारे बच्चों का भविष्य जुड़ा है. हमारे सपने बड़े हो रहे हैं. हम एक बेहतर भविष्य की ओर उन्मुख हो रहे हैं. ऐसे में सरकार का निजीकरण का फैसला हमारे अस्तित्व को मिटाने जैसा प्रतीत हो रहा है. एक पंक्ति में कहें तो नगरनार स्टील प्लांट का प्राइवेट हाथों में जाना हमारे प्राण लेने के बराबर है. यदि कोई प्राईवेट कंपनी इसका प्रबंधन संभालती है तो हम आदिवासी इसे कदापि बर्दास्त नहीं करेंगे.

(6) यह भी जानकारी मिली है कि नगरनार स्टील प्लांट को आरसी मित्तल को देने की बात कही जा रही है. आरसी मित्तल एक विदेशी कंपनी है अतः हम आदिवासी लोग अंग्रेजों से लड़कर अपने जमीन की बचाएं हैं हम आदिवासी लोगों ने देश के लिए बलिदान दिए हैं. हम आदिवासी लोग भारत सरकार के उद्यम एनएमडीसी स्टील लिमिटेड को किसी विदेशी कंपनी के हाथ में नहीं जाने देंगें और बस्तर में विदेशी कंपनी नहीं चलाने देंगे.

इस दौरान खगेश्वर पुजारी, सियाराम, जालंधर नाग, वीरेंद्र साहू, गणेश काले, रघु सेठिया, तपन राय, गीता मिश्रा, प्रकाश नायडू, अशोक साहू सहित अन्य सदस्य मौजूद थे.

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