जगदलपुर (अमन दास मानिकपुरी) – एक कहावत है कि ” काम ऐसा करो कि पहचान बन जाये, हर कदम ऐसा चलों कि निशान बन जाये, यहां जिंदगी तो हर कोई काट लेता है, जिंदगी जियों इस कदर कि मिसाल बन जाये”. ऐसी कहावत को सच करने बस्तर के घोर नक्सल प्रभावित का एक युवा अपने साथियों के साथ अपने हुनर का डंका बजाने देश की राजधानी दिल्ली पहुंच गया है.

बता दें कि, बस्तर का एक बेटा राजेश यालम बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के ग्राम मुरकीनार से बाहर निकलकर अपनी एक अलग पहचान बना रहा है. राजेश बस्तर के व्यंजनों को अपने आय का स्रोत बनाकर अपने 30 साथियों को भी सीधे – सीधे रोजगार से जोड़ने का काम कर रहे है. अभी राजेश अपनी 30 सदस्यीय टीम के साथ देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित मेजर ध्यानचंद इंटरनेशनल स्टेडियम में 16 फरवरी से 24 फरवरी तक आयोजित “आदि महोत्सव” में बस्तर के 27 प्रकार के व्यंजनों को सफलतापूर्वक प्रदर्शित कर रहे है. यहां देश के 28 राज्यों में से छत्तीसगढ़ के बस्तर का एक मात्र फ़ूड स्टॉल (F 1) में लगा है. जहां राजेश देश के अलग – अलग राज्यों से आये हुए लोगों को बस्तर का मशहूर महुआ शराब, चापड़ा चटनी, महुआ चाय, लांदा, माड़िया पेज, झोंद्रा पेज, महुआ लड्डू जैसे लगभग 27 व्यंजनों के बारे में जानकारी देने के साथ ही उनको इन व्यंजनों का स्वाद भी चखा रहे है. बस्तर के स्वादिष्ट व्यंजनों की जानकारी और स्वाद दोनों लेने के बाद लोग राजेश की जमकर तारीफ कर रहे है.

इनमें केंद्रीय राज्यमंत्री जनजातीय कार्य मंत्रालय दुर्गा दास उइके समेत और भी कई बड़े स्तर के मंत्रियों का नाम शामिल है. राजेश ने बताया कि देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित इस महोत्सव में महुआ से बनी शराब और चापड़ा चींटी की डिमांड बढ़ गई है. दो दिनों में ही 25 किलो चापड़ा और 50 लीटर महुआ शराब खत्म हो गई है. राजेश लोगों को महुआ से शराब बनाने का लाइव डेमो भी दिखाकर उसके बारे में जानकारी दे रहे है. उन्होंने बताया कि कोई सोच भी नही सकता है कि इसकी भी इतनी मार्केटिंग आसानी से हो सकती है.

राजेश यालम वह एक युवा है जो हमेशा बस्तर के संस्कृति, व्यंजन, परंपरा के लिए बस्तर के युवाओं को सशक्त बनाने के प्रयास में लगे रहते है. इसके साथ ही अपने इस हुनर के जरिये वह बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने की कोशिश में रहते है. राजेश बस्तर के एक मात्र ऐसे युवा है जो बस्तर के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है. वैसे आप सभी के जानकारी के लिए बताते है कि जगदलपुर से दंतेवाड़ा जाने वाले रास्ते में स्थित तिरथुम में राजेश यालम का “आम्चो बस्तर” नाम का एक ढाबा भी है. जहां आप कभी जाकर बस्तर के स्थानीय व्यंजनों का लुफ्त उठा सकते है.